
नई दिल्ली:-भारत ने एक बार फिर बांग्लादेश की यूनुस सरकार को सबक सिखाया है. यूनुस सरकार लगातार भारत के खिलाफ कदम उठा रही है और भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है. मौजूदा कूटनीतिक दरार को और गहरा करने वाले एक कदम के तहत भारत ने शनिवार को बांग्लादेशी कंज्यूमर गुड्स पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे उनकी एंट्री सिर्फ दो बंदरगाहों – कोलकाता और न्हावा शेवा के जरिए ही होगी.
इस फैसले के बाद बांग्लादेशी रेडीमेड गारमेंट्स और कई अन्य वस्तुओं का पूर्वोत्तर में पारगमन सीमित हो गया है, जिससे दोनों पड़ोसियों के बीच व्यापार प्रवाह पर काफी असर पड़ेगा है. वहीं जानकार बांग्लादेश के लिए भारत के इस कदम को एक झटके की तरह देख रहे हैं, क्योंकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बांग्लादेशी रेडीमेड गारमेंट्स पर निर्भर है.
जैसा को तैसा से भारत का जवाब
खबरों के मुताबिक भारत का ये कदम बांग्लादेश की ओर से लगातार उठाए जा रहे भारत विरोधी कदमों के बाद आया है. एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “भारत और बांग्लादेश के बीच पूर्वोत्तर में 11 भूमि पारगमन बिंदु हैं. भारत ने सालों से इन बिंदुओं के जरिए से बांग्लादेशी सामान को फ्री में ट्रांसपोर्ट की परमिशन दी है. फिर भी बांग्लादेश लगातार भारतीय उत्पादों, विशेष रूप से यार्न, प्रसंस्कृत वस्तुओं और चावल की पहुंच को सीमित कर रहा है.”
ट्रांस-शिपमेंट व्यवस्था को भारत ने किया खत्म
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर ये नए प्रतिबंध लगाए हैं. प्रतिबंध न केवल आरएमजी बल्कि प्लास्टिक, लकड़ी के फर्नीचर, कार्बोनेटेड पेय पदार्थ, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, फलों के स्वाद वाले पेय, कपास और सूती धागे के कचरे के आयात को भी असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के फुलबारी और चंगराबांधा में भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS) और एकीकृत चेक पोस्ट (ICPs) के जरिए से प्रतिबंधित करते हैं.
यह कदम भारत की ओर से लगभग पांच साल पुरानी ट्रांस-शिपमेंट व्यवस्था को खत्म करने के बमुश्किल पांच हफ्ते बाद आया है, जिसने बांग्लादेशी निर्यात माल को भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से तीसरे देशों में ले जाने की परमिशन दी थी. ये एक ऐसा कदम था जिसने कभी दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच आर्थिक सहयोग को गहरा करने का प्रतीक था.
भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों में हाल के दिनों में बढ़ती तल्ख़ी अब आर्थिक और रणनीतिक फैसलों के रूप में सामने आने लगी है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया, अब बांग्लादेश के साथ भी व्यापारिक मोर्चे पर सख्ती दिखाई जा रही है. भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों के आयात पर बंदरगाह आधारित प्रतिबंध लगाए हैं, जो तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं.
बांग्लादेश को क्यों घेर रहा है भारत?
भारत की इस कार्रवाई के पीछे कई राजनीतिक और रणनीतिक कारण हैं. बांग्लादेश की नई युनूस सरकार के कार्यभार संभालने के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. दूसरी ओर, बांग्लादेश की चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती समीपता ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. हाल ही में बांग्लादेश के शीर्ष सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने चीन में दिए एक भाषण में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “भू-आबद्ध” करार देते हुए बंगाल की खाड़ी को उनके लिए एकमात्र रास्ता बताया, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से अस्वीकार्य माना गया.
कौन-कौन से प्रतिबंध लगाए गए हैं?
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बांग्लादेश से आने वाले निम्नलिखित उत्पादों पर निर्दिष्ट बंदरगाहों के ज़रिए ही आयात की अनुमति होगी. रेडीमेड गारमेंट्स (केवल न्हावा शेवा और कोलकाता पोर्ट के ज़रिए) प्रोसेस्ड फूड और फ्लेवर्ड ड्रिंक्स, कपास और सूती धागे का वेस्ट, प्लास्टिक और PVC के तैयार उत्पाद, लकड़ी से बने फर्नीचर, ये वस्तुएं अब असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम सहित अन्य लैंड कस्टम्स स्टेशनों के माध्यम से भारत में प्रवेश नहीं कर पाएंगी.
क्या है छूट और अपवाद?
हालांकि कुछ उत्पाद इन प्रतिबंधों से मुक्त रखे गए हैं, जिनमें शामिल हैं. मछली, तरल पेट्रोलियम गैस (LPG), खाद्य तेल, क्रश्ड स्टोन, इसके अलावा, ये प्रतिबंध भारत से होकर नेपाल और भूटान को ट्रांजिट करने वाले बांग्लादेशी माल पर लागू नहीं होंगे.
व्यापार जगत की चिंता और सरकार की प्रतिक्रिया
भारत का परिधान उद्योग लंबे समय से बांग्लादेश से बढ़ते आयात पर चिंता जता रहा था. उद्योग जगत का कहना है कि बांग्लादेश को मिले विशेष व्यापारिक और ट्रांजिट अधिकारों से भारत का घरेलू उद्योग प्रभावित हो रहा था. इसी के चलते भारत सरकार ने पहले ही ट्रांसशिपमेंट की सुविधा समाप्त कर दी थी, जिसके तहत बांग्लादेश को भारतीय भूमि मार्ग से तीसरे देशों को सामान भेजने की अनुमति थी.
भारत द्वारा अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान ने बांग्लादेश में हड़कंप मचा दिया है.
भारत के खिलाफ बांग्लादेश के रुख ने नई दिल्ली को निराश किया है. हाल में पूरे भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ भारत सरकार अभियान चला रहा है. जिसमें अवैध बांग्लादेशियों को ढूंढ-ढूंढ के वापस भेजा जा रहा है. भारत के इस कदम से यूनुस सरकार बौखला गई है और नई दिल्ली से गुहार लगाने लगी है.
धक्केशाही बंद करने का आग्रह
भारत सरकार ने जबसे अवैध बांग्लादेशियों को धक्के मार भारत से भागाना शुरू किया है. तभ से यूनुस सरकार परेशान है. इस कार्रवाई के बाद बांग्लादेश नई दिल्ली को एक राजनयिक नोट भेजा है. जिसमें इस तरीके से बांग्लादेशियों को भेजने का विरोध किया गया है और भारत सरकार से अपील की गई है कि वह ऐसा न करें
7 और 8 मई को अवैध बांग्लादेशियों को भेजा बांग्लादेश
बांग्लादेश ने 7 और 8 मई को भारत की ओर से अवैध लोगों को सीमा पर छोड़ने के बाद एक राजनयिक नोट भेजा. हालांकि, खबर है कि खगराछारी जिले की सीमा पर 200 से 300 लोग जमा हो गए हैं. इनमें से 78 को 9 मई को BSF की ओर से सुंदरवन के सुदूर मंदारबरिया चार में एक जहाज पर लाद दिया गया था.
भारत के एक्शन के बाद पड़ोसी देश में बैठक
भारत के एक्शन के बाद सोमवार को सचिवालय में गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें बांग्लादेशियों को भागाने का मुद्दा उठाया गया. बैठक में बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के महानिदेशक मोहम्मद अशरफज्जमां सिद्दीकी मौजूद रहे.